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मंगलवार, 2 जून 2020

बुढ़ापा






रंग   बिखेरते  बिखेरते  आखिर  जिंदगी  अब  बेरंग  सी  हो  गई 
 जवानी  के  बाद  बुढ़ापे  में  आए  जिंदगी   बेढंग  सी  हो  गई 



पहले  कितने  सब  को  नखरे  दिखाये  खूब  गीत  प्यार  के  गाए
बड़ी  उची  उडान  भरी  अब  जिंदगी  कटी  पतंग  सी  हो  गई 
जब जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी  बेढंग सी हो गई 




छोटे  छोटे  काम  के  लिए  भी  औरो   की  तरफ  देखना  पड़ता  है 
कोई   समझने  वाला  नहीं  जिंदगी   अब  अपंग   सी   हो  गई 
जब  जवानी  के  बाद  बुढ़ापे  में  आए  जिंदगी   बेढंग सी  हो  गई 



कभी   हम    भी   पहले    सोचते   थे   ये   बुढ़ापा  कैसा  है 
 इक  जगह  पड़े  पड़े  जिंदगी  उस  इक  जगह  रखें  पलंग  सी  हो  गई 
जब  जवानी  के  बाद  बुढ़ापे  में  आए  जिंदगी   बेढंग  सी  हो  गई 



 जिंदगी  बच्चों  पर  वार  दी  मुश्किल  में  ना  बच्चों  ने  हमें  प्यार  दिया
ऐसे  लगता  जैसे  जिंदगी  जीना  इक  मुश्किल  जंग  सी   हो  गई 
जब  जवानी  के  बाद  बुढ़ापे  में  आए  जिंदगी   बेढंग  सी  हो  गई 



कौन   सोचता   था   की   ऐसा   समय   कभी   हम   पर  भी  आएगा 
वो   पुराने   दिन   सोचते   सोचते   ख्यालों   में  जिंदगी  मलंग  सी   हो  गई 
जब   जवानी  के  बाद  बुढ़ापे  में  आए  जिंदगी   बेढंग  सी  हो  गई



# Colour less # Life

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