रंग बिखेरते बिखेरते आखिर जिंदगी अब बेरंग सी हो गई
जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी बेढंग सी हो गई
पहले कितने सब को नखरे दिखाये खूब गीत प्यार के गाए
बड़ी उची उडान भरी अब जिंदगी कटी पतंग सी हो गई
जब जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी बेढंग सी हो गई
छोटे छोटे काम के लिए भी औरो की तरफ देखना पड़ता है
कोई समझने वाला नहीं जिंदगी अब अपंग सी हो गई
जब जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी बेढंग सी हो गई
कभी हम भी पहले सोचते थे ये बुढ़ापा कैसा है
इक जगह पड़े पड़े जिंदगी उस इक जगह रखें पलंग सी हो गई
जब जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी बेढंग सी हो गई
जिंदगी बच्चों पर वार दी मुश्किल में ना बच्चों ने हमें प्यार दिया
ऐसे लगता जैसे जिंदगी जीना इक मुश्किल जंग सी हो गई
जब जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी बेढंग सी हो गई
कौन सोचता था की ऐसा समय कभी हम पर भी आएगा
वो पुराने दिन सोचते सोचते ख्यालों में जिंदगी मलंग सी हो गई
जब जवानी के बाद बुढ़ापे में आए जिंदगी बेढंग सी हो गई
# Colour less # Life