गुरुवार, 28 मई 2020

चल आज फिर ( ग़ज़ल ) प्रीती




चल आज फिर इक वादा करें एक वादा निभाने का
रूठ जाए गर कहीं दोनों तो इक दूसरे को मनाने का



मन को  समझाती  तो हूं  पर समझ कहाँ ये पाता है
रोज मन उदास हो जाता रहता इंतजार तेरे आने का
चल आज फिर इक वादा करें एक वादा निभाने का



कहते तो हो हर वार तुम की आऊंगा जब कहोगी
आ जाओ मिलने छोड़ दो काम ये रोज तड़पाने का
चल आज फिर इक वादा करें एक वादा निभाने का 



 रोज रोज इक बात कह मुझे भी अजीब लगने लगा
मिलकर फिर से करों सनम इजहार  प्यार जताने का
चल आज फिर इक वादा करें एक वादा निभाने का



मान  जाओ अब  बात  यूं ना  दिल को सताया  करो
जुदाई में अपनी हमें और ना काम करो रूलाने का
चल आज फिर इक वादा करें एक वादा निभाने का



खुश  होती  हूँ उससे  बात  करके  ये वो जानता है
उसका प्यार काम करता है इक सुरमई तराने का
चल आज फिर इक वादा करें एक वादा निभाने का


# Promise



Chal Aaj Fir ( Ghzal ) Preeti 



Chal  Aaj Fir Ek Vada Kre Ek Vada
Nibhane Ka
Roth Jaye Gar Kahii Dono To Ek
 Dusre Ko Mnane Ka



Mnn Ko Smjhati To Hu Prr Smajh
Kaha  Yeh Pata Hai
Roj Mnn Udas Ho Jata Rehta
 Intzar Tere Aane Ka
Chal  Aaj Fir Ek Vada Kre Ek Vada
 Nibhane Ka



Kehte To Ho Her Bar Tum Kii
Aaunga jab kahogi
Aa Jao Milne Shod Do  Kam
Yeh Roj Tdpane Ka
 Chal  Aaj Fir Ek Vada Kre Ek
 Vada Nibhane Ka



Roj Roj Ek Bat Keh Mujhe Bhi
 Ajeab Lgne Lga
Milker Fir Se Kro Snam Ijhaar
Pyar Jtane Ka
Chal  Aaj Fir Ek Vada Kre Ek Vada
 Nibhane Ka



Man Jao Aab Bat Ju Na Dil Ko
 Staya Kro
Judayi Mai Apni Hume Or Na
 Kam Kro Rulane Ka
Chal  Aaj Fir Ek Vada Kre Ek Vada
 Nibhane Ka



Kush Hoti Hu osse Bat Krke
 Yeh Woh Janta Hai
Uska Pyar Kam Krta Hai Ek
 Surmyi Trane Ka
Chal Aaj Fir Ek Vada Kre Ek Vada
 Nibhane Ka



# Promise 

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