मंगलवार, 19 मई 2020

भारत हमारा कहते थे (कविता) प्रीती





जिसे हमारा भारत हमारा भारत कहते थे
आज वो अलग अलग राज्यों में बंट गया 
कहीं  यूपी कहीं  बिहार तो कही बना पंजाब 
कोई हिंदु कोई जमाती इंसान भी बंट गया 


 सारा देश बना इक राजनीति का मैदान 
कोई एक  सूखी  रोटी को भी तरस गया 
कहीं यूपी कहीं बिहार तो कहीं बना पंजाब 
कोई हिंदु कोई जमाती इंसान भी बंट गया 

दिया अनाज सरकार ने वो मंडियों मे बंट गया 
घर के लिए निकले थे देश परदेशों में बंट गया 
कहीं यूपी कहीं बिहार तो कहीं बना  पंजाब 
कोई हिंदु कोई जमाती इंसान भी बंट गया 


कोई मुस्कराए कोई आँसुओं में बरस गया  
चलते चलते यूं ही हमारा परिवार बंट गया 
कहीं यूपी कहीं बिहार तो कहीं बना पंजाब 
कोई हिंदु कोई जमाती इंसान भी बंट गया 


खाई थी हमने कसमें भारत की रक्षा की 
आज खुद की रक्षा में ही ये दिल फंस गया 
कहीं यूपी कहीं बिहार तो कहीं बना पंजाब 
कोई हिंदु कोई जमाती इंसान भी बंट गया 


फिक्र खुद की जान की होती तो कोई बात नही 
बात जब परिवार पर आई तो सीना फट गया 
कहीं यूपी कहीं बिहार तो कहीं बना  पंजाब 
कोई  हिंदु  कोई  जमाती इंसान भी  बंट गया

#save life #

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